नागरिकता (citizenship)

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      भारत में एकल नागरिकता की व्यवस्था की गयी है। नागरिकता ke सम्बन्ध में भारतीय सविंधान के भाग-2 तथा अनुच्छेद 5-11 में प्रावधान किया गया हैं। इन अनुच्छेदों में केवल यह प्रावधान किया गया है की भारत का नागरिक कौन है और किसे भारत का नागरिक माना जायेगा।

 भारतीय सविंधान में नागरिकता के संबंध में प्रावधान - भारतीय सविंधान के अनुच्छेद 5 से 9 तक नागरिकता के संबंध मे निम्नलिखित प्रावधान किये गए हैं-

   1. सविंधान के प्रारंभ पर नागरिकता - अनुच्छेद 5 के अनुसार, भारतीय सविंधान के प्रारंभ पर जिस व्यक्ति का भारत में अधिवास हो और (क) जो भारत के राज्यक्षेत्र में जन्मा था, या (ख) जिसके माता पिता में से कोई भारत में जन्मा था, या (ग) जो सविंधान के प्रारंभ के ठीक पहले कम से कम पांच वर्ष तक मामूली तौर से भारत निवासी रहा है।
   2. पाकिस्तान से भारत आने वाले व्यक्ति की भारतीय नागरिकता - पाकिस्तान से भारत आने वाले व्यक्ति को भारतीय व्यक्ति नागरिक माना जायेगा। (अनुच्छेद 6)
3. पाकिस्तान को आव्रजन करने वालें लोगों की नागरिकता - सविंधान का अनुच्छेद 7 यह उपबंध करता है अनुच्छेद 5 या 6 में बात के होते हुए भी जो व्यक्ति 1 मार्च, 1947 के पश्चात भारत में पाकिस्तान का आब्रजन किया गया है वह भारत का नागरिक नही समझा जायेगा किंतु यह नियम उस व्यक्ति पर लागू नही होगा जो पाकिस्तान को आब्रजंन करने के पश्चात किसी अनुज्ञा के अधीन भारत लौट आया हैं।

   4. भारत के बाहर भारतीय उतपत्ति वाले व्यक्ति को नागरिकता - अनुच्छेद 8 भारत में जन्मे किंतु विदेश मे रहने वाले कुछ कुछ व्यक्तियों को कुछ शर्तो को पुरा करने पर नागरिकता का अधिकार प्रदान करता है। इसके अंतर्गत पाकिस्तान जाने वाले लोग सम्मिलित नही है।
   5. विदेशी नागरिकता अर्जित करने पर भारत की नागरिकता की समाप्ति - अनुच्छेद 9 यह उपबंधित करता है की यदि कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से किसी विदेशी राज्यो को नागरिकता अर्जित कर लेता है तो उसकी भारत की नागरिकता समाप्त हो जायेगी और वह अनुच्छेद 5,6 या 8 के आधार पर नागरिकता के अधिकार का दावा नही कर सकता।
 संसद द्वारा निर्मित नागरिकता अधिनियम, 1955 के अधीन भारतीय नागरिकता का अर्जन -
 1. जन्म द्वारा नागरिकता- 26 जनवरी, 1950 के बाद तथा नागरिकता संशोधन अधिनियम, 1986 के पूर्व भारत में जन्म लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को भारत की नागरिकता प्राप्त होगी लेकिन नागरिकता संशोधन अधिनियम के परिवर्तन के बाद के राज्य क्षेत्र में जन्म लेने वाला व्यक्ति तब भारत का नागरिक होगा, जब उसके माता-पिता मैं से कोई भारत का नागरिक हो।
 2. देशियेकरण द्वारा नागरिकता की प्राप्ति- कोई भी विदेशी व्यक्ति जो वयस्क हो चुका है और प्रथम अनुसूची में वर्णित देशों का नागरिक नहीं है, भारत सरकार से निर्धारित प्रपत्र पर देशीयकरण के लिए आवेदन पत्र दे सकता है।
(1) वह किसी ऐसे देश का नागरिक ना हो जहाँ भरतीय देशीकरण द्वारा नागरिक बनने से रोक दिये जाते हो।
   (2). उसने अपने देश की नागरिकता का परित्याग कर दिया हो, और केंद्रीय सरकार को इस बात की सूचना दे दी हो।
   (3). वह देशियकरण के लिए आवेदन करने की तिथि से पहले 12 वर्ष तक या तो भारत में रहा हो या भारत सरकार की सेवा में रहा हो, इस संबंध में केंद्रीय सरकार यदि उचित समझे तो उस अवधि को घटा सकती है।
   (4). उक्त 12 वर्ष के पहले का कुल 7 वर्षों मे से कम- से- कम 4 वर्ष तक उसने भारत में निवास किया हो या भारत सरकार की नौकरी मे रहा हो।
   (5). वह एक अच्छे चरित्र का व्यक्ति हो।
   (6). वह राज्यनिष्ठा की सपथ ग्रहण करे।
   (7). उसे भारतीय सविंधान द्वारा मान्य भाषा का सम्यक ज्ञान हो।

   3. वंश द्वारा नागरिकता - भारत के बाहर अन्य देश मे 26 जनवरी, 1950 के पश्चात जन्म लेने वाला व्यक्ति भारत का नागरिक माना जायेगा, यदि उसके जन्म के समय उसके माता पिता मे से कोई भारत का नागरिक हो।
   4. पंजीकरण द्वारा नागरिकता - जो व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं है, वह पंजीकरण द्वारा भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकता है।
   5. अर्जित भू - भाग के विलयन द्वारा नागरिकता - यदि किसी नये भू-भाग को भारत में शामिल किया जाता है, तो उस क्षेत्र में निवास करने वाले व्यक्तियों को स्वतः भारत की नागरिकता प्राप्त हो जाती है।

प्रवासी भारतीयों की नागरिकता संबंधी नागरिकता संशोधन अधिनियम 2003
       प्रवासी भारतियों व विदेश में बसे भारतीय मूल के लोगो को दोहरी नागरिकता प्रदान करने के उदेश्य से संसद द्वारा अधिनियम, 1955 में संशोधन किया गया है। इसके लिए नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2003 को राज्यसभा ने 8 दिसम्बर, 2003 को और लोकसभा ने 22 दिसम्बर, 2003 को सर्वसम्मति से पारित किया है। वह विधेयक लक्ष्मीमल सिघविं की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया था।
                 भारतीय नागरिकता की समाप्ति
भारतीय नागरिकता निम्न प्रकार से समाप्त होती है -
   (1) अन्य देश की नागरिकता स्वीकार करने पर,
   (2) नागरिकता का परित्याग करने पर,
   (3) सरकार द्वारा नागरिकता छिनने पर।
 जम्मू - कश्मीर राज्य को अपने निवासियों को अधिकार           तथा विशेषाधिकार प्रदान करने की शक्ति
      जम्मू-कश्मीर राज्य के विधानमण्डल को निम्नलिखित विषयों के संबंध में राज्य में स्थायी रूप से निवास करने वाले व्यक्तियों को अधिकार तथा विशेषाधिकार प्रदान करने की शक्ति प्रदान की गयी है -
   (1) राज्य के अधीन नियोजन के संबंध में,
   (2) राज्य में अचल सम्पत्ति के अर्जन के संबंध में,
   (3) राज्य में स्थायी रूप से बस जाने के संबंध में,
   (4) छत्रवृत्तियों अथवा इसी प्रकार की सहायता, जो राज्य सरकार प्रदान करे, के संबंध में।

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