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नागरिकता (citizenship)

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 BLOG BY :- mohd. Faiz rajput Instagram :- @iam_faizrajput1370 Twitter :- @sultanr55739933        भारत में एकल नागरिकता की व्यवस्था की गयी है। नागरिकता ke सम्बन्ध में भारतीय सविंधान के भाग-2 तथा अनुच्छेद 5-11 में प्रावधान किया गया हैं। इन अनुच्छेदों में केवल यह प्रावधान किया गया है की भारत का नागरिक कौन है और किसे भारत का नागरिक माना जायेगा।   भारतीय सविंधान में नागरिकता के संबंध में प्रावधान - भारतीय सविंधान के अनुच्छेद 5 से 9 तक नागरिकता के संबंध मे निम्नलिखित प्रावधान किये गए हैं-    1. सविंधान के प्रारंभ पर नागरिकता - अनुच्छेद 5 के अनुसार, भारतीय सविंधान के प्रारंभ पर जिस व्यक्ति का भारत में अधिवास हो और (क) जो भारत के राज्यक्षेत्र में जन्मा था, या (ख) जिसके माता पिता में से कोई भारत में जन्मा था, या (ग) जो सविंधान के प्रारंभ के ठीक पहले कम से कम पांच वर्ष तक मामूली तौर से भारत निवासी रहा है।     2. पाकिस्तान से भारत आने वाले व्यक्ति की भारतीय नागरिकता - पाकिस्तान से भारत आने वाले व्यक्ति को भारतीय व्यक्ति नागरिक माना ...

PREAMBLE & INTRODUCTION OF INDIAN CONSTITUTION.

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  BLOG BY :- mohd. Faiz rajput Instagram :- @iam_faizrajput1370 Twitter :- @sultanr55739933     PREAMBLE OF INDIAN CONSTITUTION भारतीय सविंधान की उद्देशिका निम्न प्रकार है -          "हम भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसम्पन्न, समाजवादी, पंथ- निरपेक्ष, लोकतन्त्रात्मक गणराज्य बनाने के लियेे तथा उसके समस्त नागरिको को-          सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता।           भारतीय सविंधान की उद्देशिका ka आधार पंo जवाहरलाल नेहरू द्वारा 13 डिसिम्बर, 1946 को सविंधान निर्मात्री सभा मे प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव है। उद्देशिका मे समाविष्ट सविंधान के बुनियादी तत्वों या उसकी विशेषताओं को अनुच्छेद 368 के अधीन संशोधन द्वारा उल्टा नही जा सकता है।   उद्देशिका के तत्व  - उद्देशिका के उक्त मूल पाठ को ‌‌‌पढ़ने से इसके  निम्नलिखित तत्त्व परिदृशित होते हैं।     1. हम भारत के लोग     2. संपूर्ण प...

CONSTITUTION OF INDIA

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 BLOG BY :- mohd. Faiz rajput  Instagram :- @iam_faizrajput1370  Twitter :- @sultanr55739933                       भारतीय संविधान की मांग            1885 में कांग्रेस के गठन के बाद से भारतीयों में राजनीतिक चेतना जागृत हुई और धीरे-धीरे भारतीयों के मन में यह धारणा बनने लगी के भारत के लोग स्वयं अपने राजनीतिक भविष्य का निर्णय करें । 1922 में महात्मा गांधी ने बोला कि "भारतीय संविधान भारतीयों की इच्छा अनुसार ही होगा" ।उनका केवल यह मत था कि भारतीयों की इच्छा को ध्यान में रखते हुए ब्रिटिश संसद भारतीय संविधान को पारित करें । 1924 में मोतीलाल नेहरू द्वारा ब्रिटिश सरकार से यह मांग की गई कि भारतीय संविधान के निर्माण के लिए संविधान सभा का गठन किया जाए इसके बाद संविधान सभा के विचार का औपचारिक रूप से प्रतिपादन साम्यवादी नेता एम. एन. राय द्वारा किया गया जिसे 1934 में जवाहरलाल नेहरू द्वारा मूर्त रूप प्रदान कर दिया । नेहरु जी ने कहा कि "यदि यह स्वीकार किया जाता है कि भारत के भाग्य की एकमात्र निर्णायक...